अनुवाद का स्वरूप पुनःसृजन जैसा होने के कारण मौलिक कृति और अनूदित कृति में अंतर अवश्य रहेगा. प्रो. दिलीप सिंह इस बात पर बल देते हैं कि “ अनुवाद की दृष्टि से भाषा की अर्थगत संरचना को समझने के पहले यह निर्धारित करना भी अनुवादक के लिए आवश्यक होता है कि रूपात्मक संरचना (formal structure) और अर्थगत संरचना (semantic structure) एक दूसरे से भिन्न होते हैं. ”